मीरा शौर्य पर चिल्लाती
चैप्टर 25
अब तक आपने पढ़ा मीरा शौर्य पर चिल्लाती है तो वो बताता है की उसने उससे कुछ नहीं छीना है यशवंत खत्री से कहता है की उसे साशा से मिलना है खत्री मीरा और राहुल की तस्वीर लेकर काम हो जायेगा कहकर चला जाता है सिद्धार्थ हॉस्पिटल आता है और पूछता है क्या दुश्मनी है मीरा की महेंद्र से
अब आगे
सिद्धार्थ अंदर आता है और कहता है "क्या दुश्मनी है तुम्हारी उस महेंद्र से" मीरा उसे शॉक होकर देखती है फिर पूछती है "हुआ क्या है"......
सिद्धार्थ गुस्से मे कहता है "वो क्यों तुम्हे और तुम्हारे बेटे को मारना चाहता है" मीरा उसको घूरते हुए पूछती है "तुम्हे हुआ क्या है" सिद्धार्थ चिढ़ते हुए "उसने सुपारी दी है तुम्हारी" उसकी बात सुन मीरा हसने लगती है ,और गहरी सांस लेकर कहती है, "उपर जिसका अंत नही उसे आसमां कहते हैं ,और जिसकी ममता का कोई अंत नही उसे माँ कहते हैं, मुझसे मेरे बेटे को खुदा भी दूर नही कर सकता महेंद्र की औकात ही क्या है"
शौर्य सिद्धार्थ से पूछता है "किसको दी हैं सुपारी" सिद्धार्थ कहता है "साशा को मेरे खबरी से पता चला मुझे"
शौर्य कुछ सोच के कहता है "उसे रोकने के लिए कुछ करना होगा, ही इस नोट अ इज़ी टार्गेट" सिद्धार्थ हम कहता है सब बात कर ही रहे थे तभी वहाँ पर राहुल और रिहान आ जाते हैं, राहुल मीरा के सामने घुटने पर बैठ जाता है और उसके तरफ एक गुलाब का फूल करते हुए कहता है
"मेरे शब्द से शब्दों की माला तक" "घर के आंगन से, पाठशाला तक", "मुझे सब कुछ सिखाती रही" "वो मां ही है, जो हमे जिताने के लिए" "हर बार खुद को हराती रही"
"हैप्पी मदर्स डे माँ "
मीरा बिस्तर से उठ कर उससे वो गुलाब ले लेती "थैंक्यू लाडले" और उसका माथा चूम लेती है राहुल उसके गले लग जाता है फिर दूर होते हुए कहता है "आपके लिए सरप्राइज़ है चलिए" मीरा उठते हुए कहती है "ठीक है चलो"
राहुल कहता है "माँ क्या हम घर चल सकते हैं" मीरा ठीक है कहती हैं और चलने लगती है वो ठीक से चल नही पा रही थी राहुल उसे पकड़ के ले जाने लगता है तभी शौर्य उसे गोद मे उठा लेता है, राहुल उसे घूर कर देखता है तो शौर्य कहता है "रिलेक्स चैंपियन मै तो बस तुम्हारी हेल्प कर रहा हु"
राहुल मीरा की तरफ देखता है वो कुछ कहता उससे पहले ही मीरा कहती है "कोई बात नही चलो" मीरा बात नही बढाना चाहती थी वो रिहान को देखती है जो चुप चाप अपने फोन को देख रहा था मीरा कुछ नही कहती है
राहुल और रिहान आगे आगे चल रहे थे शौर्य मीरा को गोद मे लिए हुए उनके पीछे पीछे चल रहा था सिद्धार्थ भी उनके पीछे आ जाता है मीरा शौर्य से धीरे से कहती है "ये क्या तरीका है ऐसे कोन करता है" उसकी बात सुन शौर्य भोला बनते हुए कहता है "मै तो बस तुमहारी मदद कर रहा हु"
मीरा घूरते हुए कहती है "अच्छा जी मदद कर रहे हैं, मदद करने के और भी तरीके थे" शौर्य कहता है,,,,,"इससे अच्छा और रोमांटिक तरीका और कोई नही हो सकता"
मीरा मुह बनाते हुए कहती है "आपको बिल्कुल शरम नही आती ना"
शौर्य मुस्कुरा कर कहता है "जिसने की शरम उसके फूटे करम" फिर एक दम से उसका ध्यान मीरा पर चला जाता है और वो हैरानी से कहता है "क्या कहा तुमने आप तुमने मुझे आप कहा"
मीरा उसकी बात सुन नजरे झुका लेती है शौर्य उसे अपनी बहों मे कसते हुए कहता है "बोलो मीरा"..... मीरा नज़र झुकाए हुए ही कहती है "माँ कहती थी की पती को तुम नही कहते हैं" और चुप हो जाती है
"शौर्य का तो खुशी से नाचने का मन कर रहा था वो सबको ध्यान से देखता है जहाँ राहुल और रिहान चुप चाप आगे चल रहे थे, और सिद्धार्थ भि अपने फोन मे लगा था, शौर्य धीरे से मीरा के होठो पर अपने होठ रख देता है और हल्की सी किस करके अलग हो जाता है मीरा उसकी इस हरकत पर उसे घूरने लगती है तो शौर्य अपनी एक आँख दबा देता है, मीरा शर्मा जाती है और उसके सीने पर सर रख लेती है उसकी इस हरकत से शौर्य मुसुकुरा देता है उसके दिल मे एक सुकून था
राहुल एक कैब रोकता है और मीरा से कहता है "आइये माँ "
शौर्य कहता है "कार से चलते हैं" तो राहुल कहता है "नही मा कहती है जितने मे रहो खुश रहो एहसान नही लेना"
शौर्य मीरा को देखता है लेकिन कुछ कहता नही है सिद्धार्थ कहता है "मेरी कार से तो चल सकते हैं ना"
तो राहुल मीरा की तरफ देखता है तो मीरा अपने पैरों पर खड़े होते हुए कहती है "चल सकते हैं , मामा ही हैं तुम्हारे" सब उसे हैरानी से देखने लगते हैं, राहुल और रिहान को तो कुछ समझ में ही नही आ रहा था, लेकिन वो दोनो चुप रहते हैं
सब कार मे बैठ जाते हैं ,सिद्धार्थ कार चला रहा था और रिहान को ड्राइवर की सीट पर बैठा था, राहुल मीरा और शौर्य पीछे बैठे थे कुछ दूर आने पर राहुल को गिफ्ट शॉप दिखती है उसमे उसे एक बहुत अच्छा नेक्कलेस दिखता है राहुल बोलता है "मामा गाड़ी रोको" और गाड़ी से उतर के चला जाता है, रिहान उसके पीछे जाने लगता है तो शौर्य कहता है "मै भी चलता हु" और वो दोनो उसके पीछे चले जाते है
अब गाड़ी में सिर्फ सिद्धार्थ और मीरा थे ,मीरा सिद्धार्थ से कहती है "इतने साल होगये ना सिद्धार्थ ,तुम्हे सवाल करते और मेरे चुप रेहते हुए, आज इस मदर्स डे पर मै तुम्हे तुम्हारे सारे सवालो के जवाब देना चाहती हु"
सिद्धार्थ उसकी बात सुन झटके से पलट जाता है और नम आँखो से देखते हुए कहता है "क्या सच मे तुम मुझे मेरे सवालो के जवाब दोगी"
मीरा हाँ मे गर्दन हिला देती है और कहती है "सिद्धार्थ लेकिन उम्मीद करती हु तुम मेरी बातो को समझोगे ,क्योंकि हर बार गलत औरत नही होती है, और पता है तुम्हे आज के दिन मे सबका हक बनता है ये जानने का ,और अब वक़्त आ गया है आर पार की लडाई लड़ने का" वो दोनो फिर खामोश हो जाते हैं
गिफ्ट शॉप में
ये यहाँ का सबसे बड़ा गिफ्ट शॉप था, लेकिन यहाँ की एक खासियत थी की आप यहाँ बिना आई डी के अंदर नही जा सकते हैं राहुल अंदर आता है और अपनी आई डी दिखता है तो सामने बैठा शक्स कहता है "इसपे तुम्हारे पापा का नाम नही है"
तो राहुल कहता है "मेरे पापा नही है मुझे बस गिफ्ट लेना है अपनी मा के लिए" तो वो आदमी कहता है "पापा नही है तो क्या हुआ नाम तो होगा ना" फिर थोड़ा रुक के "कही ऐसा तो नही की तुझे तेरे बाप का नाम ही नही मालूम" राहुल कुछ कहता उससे पहले ही पीछे से एक भारी आवाज़ आती है.............
क्या इस बार सिद्धार्थ को अपने सवालों के जवाब मिलेंगे? कौन है राहुल के पिता? क्यों मीरा ने सिद्धार्थ को राहुल का मामा कहा? जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी "एक मां ऐसी भी"
वानी
#कहानीकार प्रतियोगिता